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रौशन कुमार ने 12 घंटे की नौकरी फैमिली की जीमेदारी घर पर सेल्फ स्टडी कर बने IPS

 





रौशन कुमार बच्चपन सेही पढ़ाई मेंऔसत से भीकम, घर परभी संसाधन नहींथे लेकिन फिरभी मन मेंठान लिया थाकि IPS अफसर बनकररहना है। लेकिनहालात हमेशा खिलाफरहे। चार अटेंप्टमें फेल होनेके बावजूद नौकरी छोड़ी और तैयारी। बिहारके मुजफ्फरपुर केरहने वाले रौशनकुमार की सक्सेसस्टाेरी सबसे अलगहै। 12 घंटे कीनौकरी करने वालेइस इंजीनियर नेकिस तरह IPS काअपना लक्ष्य प्राप्तकिया। क्या वाकईघर पर तैयारीकरके इस कठ‍िन सफलताको प्राप्त कियाजा सकता है।

रौशन ने अपनेएक वीडियो इंटरव्यूमें बताया किमैं ये कभीनहीं कहूंगा किमैं बहुत स्पेशलहूं जिसने IPS निकालदिया। मैं अपनेको एवरेज सेभी नीचे कास्टूडेंट मानता हूं। मैंबचपन से हीपढ़ाई में बहुतअच्छा नहीं था।
मुजफ्फरपुरके रहने वालेरौशन का एकेडमिकबैकग्राउंड खराब था।12वीं में उनका586 पसेंट आयाथा। वो कहतेहैं कि गण‍ित-अंग्रेजी आदि में तोमैं घ‍िसट कर पास हुआथा। इस सभीविषयों में बसपासिंग मार्क्स भर आएथे।
उन्हें 12वीं केरिजल्ट के बादही महसूस होगया था किउनका आईआईटी वगैरहमें दाखिलाहो ही नहींसकता था। इसकेबाद उन्होंने मैनेजमेंटकोटा से एकइंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशनलिया। उन्होंने लेकिनयहां पढ़ाई कोसीरियस लिया औरइंजीनियरिंग बहुत अच्छेनंबरों से पासकी।

उन्होंने इंजीनियरिंग में बेहतरप्रदर्शन किया तोवहीं से उन्हेंकैंपस प्लेसमेंट केजरिये ही नौकरीमिल गई। लेकिन, उनके मन मेंबचपन से पुलिससर्विसेज में इंटरेस्टथा। अब नौकरीमिल गई थीलेकिन कहीं कहीं मन मेंआईपीएस बनने कासपना था क्योंकिउनका पहली च्वाइसयही थी।

साल 2012 में वोजॉब करने लगेथे। नई नईनौकरी थी, कंपनीमें काम ज्यादाथा, सीखना बहुतथा। ऐसे में12 से 14 घंटे कामकरने के बादतैयारी के लिएसमय बहुत कमबचता था। फिरसाल 2013 फरवरी में रौशनकी शादी होगई। अब पत्नीके साथ बातचीतमें उन्होंने अपनाआईपीएस बनने कासपना बताया।



पत्नी ने उनसेकहा कि आपसिविल सर्विसेज केलिए करते क्याहैं, जॉब केसाथ पढ़ाई कैसकरते हैं। पत्नीने रोशन काहौसला बढ़ाया तोवो तैयारी मेंजुट गए। उनका2013- 14 ऐसे ही निकलगया। फिर उन्होंनेआईएएस टॉपर केइंटरव्यू सुने टॉपरकी बताई किताबेंमंगा ली। रौशनकहते हैं किउनका रूम लगभगलाइब्रेरी बन गयालेकिन किताबों कोपढ़ने का वक्तनहीं मिलता था।

फिर साल 2014 में  उन्होंनेपहली बार प्रीलिम्सदिया। इसमें वहीहुआ जिसकी उन्हेंउम्मीद थी, उनकासेलेक्शन नहीं हुआथा। सोचा जॉबछोड़कर तैयारी करें, लेकिनघर से कोईसपोर्ट सिस्टम नहीं मिलाक्योंकि छोटा भाईभी पढ़ाई कररहा था। फिर2015 में भी जैसे-तैसे कामके साथ पढ़करफिर तैयारी की।लेकिन 2015 के प्रीलिम्समें भी फेलहो गए।

फिर 2016 में प्रीलिम्सक्लीयर हो गया, लेकिन मेन्स कीतैयारी सही नहींथी। उन्होंने सोचावाइफ ये सोचे कि मैंएग्जाम से भागरहा हूं इसलिएमेन्स दिया। हालतये थी किपहला ऐशे पेपरदिया फिर सोगए। पूरा मेन्सजैसे-तैसे दिया।फिर ड्यूटी परवापस गए।रोशन कहते हैंकि जब मार्क्सआए तो देखाकि 124 नंबर था, वहीं से मेराकॉन्फीडेंस बढ़ा।मैंने सोचा किअगर अच्छे सेतैयारी करूं तोनिकाल सकता हूं।
फिर साल 2017 में 28 अक्टूबरको मेन्स थाऔर चार अक्टूबरको घर मेंबेटी का जन्महो गया। मेंसदेने गए तोआता था लेकिनपूरा लिख नहींपाए। उनका आताहुआ भी छूटगया जिससे 2017 मेंभी फेल होगए। इस बारवो 12 नंबर सेफेल थे। लेकिनफिर साल 2018 केलिए पूरी तैयारीकी और मॉकइंटरव्यू दिया। इस सालउन्हें 114 रैंक मिलीथी। रौशन काकहना है किमेरा सपना सिर्फइसलिए पूरा होगया, क्योंकि मैंनिराशा और हताशाको हरा पाया।कभी तैयारी नहींछोड़ी।