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दिलीप प्रताप UPSC इंटरव्यू को समझा था हौव्वा, फिर फटाफट जवाब दे बना IAS

 



UPSC 2018 में77वीं रैंक पानेवाले दिलीप प्रतापसिंह शेखावत कीकहानी आम लोगोंसे काफी अलगहै। बचपन सेपढ़ाई में मन लगाने वालेदिलीप ने वोकर दिखाया जिसकाकिसी को यकीननहीं था। कॉलेजमें कई सब्जेक्टमें फेल होनेवाले दिलीप इंजीनियरसे आईएएस अफसरबने।
दिलीप प्रताप सिंह शेखावतने एक इंटरव्यूमें कहा किएक समय तोऐसा भी थाकि मुझे बड़ेहोने से हीडर लगता था।करियर को लेकरबहुत सीरियस नहींथा। फिर 12वींक्लास के बादमेरे सामने चिंताआई कि क्याकरूं। फिर इंजीनियरिंगकॉलेज NIT राउरकेला में केमिकलइजीनियरिंग करने चलागया। एक समयआया कि लगाकि घर वापसचला जाऊं।


वहां कैंपस प्लेसमेंट मिलगया। मन मेंसीनियर से सुनीएक बात थीकि आईएएस ऐसाक्षेत्र है जहांआप समाज सेवाके साथ एकनोबल जॉब करसकते हैं। फिरभी अपना बैकग्राउंड देखकर कभी महसूसनहीं होता थाकि मैं येकर पाऊंगा। उसपर मैं एकेडिमकलीभी अच्छा नहींथा। कॉलेज मेंकई सब्जेक्टस मेंफेल हुआ था।ये भी जरूरीथा कि घरवालोंकी मंजूरी होनीचाहिए।

वो घर गएतो घरवालों नेहौसला बंधाया तोमन में तयकरके दिल्ली गए। लेकिन येक्या, दिल्ली मेंनजारा देखकर तोदिलीप परेशान होगए। उनके मनये यही आयाकि दिल्ली मेंपहले से हीलाखों की तादादमें लोग हैं, सब स्टडी मैटेरियलखरीद रहे हैं।

दिलीप कहते हैंकि मुझे येसोचकर डिप्रेशन होनेलगा। सोच रहाथा कि यहांतो कितने अच्छेघरों से इतनापढ़ने वाले स्टूडेंटआए हैं। जबये नहीं करपा रहे तोमैं कैसे करूंगा।लेकिन साथ मेंये भी सोचाकि अब वापसगया तो आईनेमें खुद कोनहीं देख पाऊंगा।हमेशा यही सोचूंगाकि मैं कुछनहीं कर पाया।आया हूं तोएक अटेंप्ट देकरजाऊं।



लेकिन, वहां हुआएकदम अलग। वोपहले अटैंम्पट मेंप्री में फेलहो गए। इसहार ने उन्हेंतोड़ दिया। वोकहते हैं किपहली बार प्रीमें फेल होनाउम्मीदवारों के लिएसबसे बड़ा सेटबैकहोता है, लेकिनमैंने सोचा किअब एक तयस्ट्रेटजी बनाकर तैयारी करूंगा।कैसे भी इसहार से बाहरनिकलना है।


दूसरे अटेंप्ट में वोइंटरव्यू की स्टेजतक पहुंचे। दिलीपइंटरव्यू नहीं निकालपाए। वो इसकीवजह बताते हुएकहते हैं किइंटरव्यू इतना बड़ाहौव्वा बना दियागया है किपूछो मत। सबऐसे डराने कीकोशिश करेंगे किये पूछ लियाजाएगा, पर्सनल सवाल होजाएंगे आदि आदि।मैं नर्वस थाये सब सुनकर।कॉन्फीडेंस से ज्यादानर्वसनेस चल रहीथी। जब येभाव मेरे दिमागमें आता थातो सोचता थाकि किसी भीतरह UPSC की सर्विसमें जाऊं।फिर वही हुआजिसका डर भीतरथा। मेरा इंटरव्यूमें नहीं हुआ।इसके पीछे सीधाकारण था किभीतर से मैंबहुत कमजोर था, ऊपर ऊपर मजबूतदिखा रहा था।लेकिन इस फेलियरसे मैंने सीखाकि अपने आपकोपहले से हीनिगेटिव कर लेनासबसे बड़ी हारहै।

अब हकीकत ये थीकि दो अटेंप्टमें फेल होनेके बाद घरवालोंका सपोर्ट भीकम हो रहाथा। वो भीसोच रहे थेकि किस कठिनएग्जाम की चुनौतीले ली। उसदौर में मांने हौसला बंधातेहुए कहा किइतना आगे निकलगए हो तोअब पीछे मतजाओ, एक छलांगमारो और आगेबढ़ जाओ। उनकेएक वाक्य सेमैंने निराशा केभाव को हरायाऔर फिर सेतैयारी शुरू करदी। तीसरी बारप्री दिया औरउसमें सेलेक्शन होगया।



अब मेन्स के लिएधुआंधार तैयारी शुरू कीऔर इंटरव्यू केवक्त ये कॉन्फीडेंटजगाया कि मेरेभीतर ही वोसारी क्वालिटी हैजो एक सिविलसर्वेंट में होनीचाहिए। दिलीप कहते हैंकि सेल्फ डाउटआपको सफल बनानेसे रोकती है।फाइनल रिजल्ट मेंमैंने देखा कि77 रैंक में मेराचयन हुआ था।मैं अपने परिवारऔर घरवालों काआज भी आभारीहूं, उन्होंने मेराकठिन समय मेंहौसला नहीं बंधायाहोता तो मैंये लक्ष्य नहींपा सकता था।