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प्रांजल पाटिल नेत्रहीन होने के बावजूद UPSC क्लियर कर IAS अफसर बनी

 




  प्रांजल पाटिल (31 वर्षीय) अपनी आँखों की रोशनी खो देने के बावजूद प्रांजल ने वो कर दिखाया जो शायद ही कोई यकीन करे। UPSC की सिविल सेवा परीक्षा पास कर प्रांजल देश की पहली नेत्रहीन महिला IAS अफसर बन गयी है।



प्रांजल उल्हास नगर महारष्ट्र की रहने वाली हैं और एक मध्यमवर्गी परिवार से आती है। उनके पिता लहेन सिंह पाटिल एक इंजीनियरिंग असिस्टेंट है और माताजी हाउसवाइफ हैं। प्रांजल का विवाह कोमल सिंह से हुआ जो की एक बिजनेसमैन है। प्रांजल के  माता पिता का कहना है की प्रांजल बचपन से पढाई में तेज़ थी और उन्हें किताबे पढ़ने का काफी शौक था। 



प्रांजल 6 साल की उम्र में खो दी थी आँखों की रोशनी
प्रांजल के जीवन में पैदा होने के साथ ही अँधेरा नहीं था। बल्कि उनकी क्लास मेट की नादानी की वजह से प्रांजल ने अपनी आँखों की रोशनी खो दी। 6 साल की उम्र में प्रांजल की क्लास मेट ने उनकी आंख में पेंसिल चुभा दी थी । जिससे उनकी आँख की रोशनी चली गयी थी। इसके एक साल बाद उनकी दूसरी आँख से भी प्रांजल को दिखना बंद हो गया। लेकिन उनके माता पिता ने इस अँधेरे को उनकी शिक्षा के आड़े नहीं आने दिया। प्रांजल के माता पिता ने उन्हें कमला मेहता दादर स्कूल ऑफ़ ब्लाइंड में पढ़ने भेजा। 

JNU से किया मास्टर्स इन इंटरनेशनल रिलेशन्स
प्रांजल ने अपनी स्कूली पढ़ाई पूरी कर मुंबई के प्रसिद्ध सेंट ज़ेवियर्स कॉलेज से पोलिटिकल साइंस होनॉर्स किया। इसके बाद उन्होंने आगि की पढ़ाई दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से की। यहाँ प्रांजल ने इंटरनेशनल रिलेशन्स में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। इसी के बाद प्रांजल ने UPSC की सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी प्रारम्भ की।



प्रांजल ने 2016 में भी UPSC सिविल सेवा परीक्षा दी और 773 रैंक के साथ परीक्षा पास की। इसके बाद उनको भारतीय रेलवे लेखा सेवा में नौकरी दी गई। लेकिन प्रांजल ने हार नहीं मानी और 2017 में एक बार फिर परीक्षा दी और 124वां रैंक हासिल किया।

 प्रांजल भारत की पहली महिला नेत्रहीन IAS अफसर बन गई हैं। ट्रेनिंग के दौरान उन्होंने केरल के एर्नाकुलम में उप कलेक्टर का कार्यभार संभाला। इसके बाद अपनी ट्रेनिंग पूरी कर प्रांजल अक्टूबर 2019 से थिरुवनतपुरम में सब-कलेक्टर के तौर पर कार्यरत हैं।

प्रांजल अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता और पति को देती हैं। साथ ही मेंस परीक्षा के दौरान उनकी एग्जाम राइटर रही उनकी सहेली विदूषी का भी वह शुक्रियादा करती है। प्रांजल कहती हैं की उन्होंने कभी भी अपनी नेत्रहीनता को कमज़ोरी नहीं माना। उनका मानना है की यदि आप सफलता पाना चाहते हैं तो कोई भी चुनौती आपको नहीं रोक सकती। वह अपने नए पद को ले कर काफी उत्साहित हैं और थिरुवनतपुरम के लोगो से साथ की अपेक्षा करती है।